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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
इश्क के जाल में फंसाकर चल रहा ठगी का खेल, जानें क्या है इससे बचने का तरीका?
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ।।
मनचाहा फल पाने के लिए ये पाठ कर रहे here हैं तो ब्रह्मचर्य का पालन करें. देवी की पूजा में पवित्रता बहुत मायने रखती है.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
ॐ अस्य श्रीकुंजिकास्तोत्रमंत्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छंदः,